Monday, April 20, 2009

वो लम्हे.......वो बातें .


भौगोलिक पर्यटन मेरे जीवन की सबसे सुखद और सबसे परिवर्तन शील समय रहा । जिसने मुझे यह अहसास दिलाया कि मैं इन दिनों में एक नए दुनिया में प्रवेश कर चुका हूँ । ............जहाँ सुरम्य प्राकृतिक सोंदर्य अपनी अनुपम छटा बिखेर रही है । जहाँ सागर कि उठती - गिरती लहरे मेरे अन्तर्मन् को बार - बार उद्वेलित कर रही थी और सागर कि आगोश में समाया हुआ सूरज अपनी विछिन्न हो रही लालिमा से मेरे ह्रदय में अमिटछाप छोड़ रहा था । ...... to kahin दूर maanjh कीkashti को किनारा देती hooi shital हवा स्वर lahario में bahi ja रही थी । to dusari तरफ़ warshant की रात "नव warsh " के प्रभात के आने की खुशी में तारों की mahfil sajaye baithi थी । ..... मई इस समय chhayawadi vicharon की daor से गुजर रहा हूँ । मेरे jehan पर prakrit का shabanami spars , मुझे atit की aor ले ja रहा है और मैं usaki तरफ़ khincha चला ja रहा हूँ ....................... ।

2 comments:

  1. bhogolik pryavarna kisko achcha nahi lagta bas bat hoti hai pahchanane ki

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  2. bhaugolik payrtan hi achchha lagega ya kabhi humko bhi yaad karoge.

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