Saturday, May 23, 2009

चाँद उदास है .............


आज चाँद बड़ा उदास है । कुछ भी अच्छा नही लग रहा ,चाँद डर सा गया है आज मानव मुझ तक भी पहुच गया । न जाने क्या -क्या समस्याए झेलनी पड़ेगी ।
यह मनुष्य भी अजीब प्राणी है पहले धरती को गन्दा किया और अब चाँद पर भी पहुच गए। बेचारा चाँद बहुत चिंतित है । उसे यह डर हो गया है की अब मेरी शीतलता भी गर्माहट में बदल जायेगी । मेरा उजला रूप काला हो जाएगा और मेरी रौशनी माद्यम पड़ जायेगी ।
चाँद अपनी उदासी को धरती से बाटता है और पूछता है कि तुम इन मनुष्यों को कैसे झेलती हो ?यह बहुत गंदे है ?इनकी वजह से ही तुम्हारी ख़तम हो गई ?गंगा कि निर्मलता चली गई ?और तो और ,समुद्र भी उबलने लगा है ?
धरती कहती है ---हे चाँद शहनशील बनो , अधिक व्याकुलता ठीक नही है । अब तक मै इनका बोझ धोती रही हु । सारे सुख -दुःख मैंने उठाये , और अब ..............जब मनुष्य तुम्हारी गोद में खेलना चाहता है ,चिडिया चाँद पर चहकना चाहती है और बच्चे चाँद पे लुका -छिपी करना चाहते है । तो तुम ?अपना स्वार्थ दिखा रहे हो । ऐसा मत करो ?मनुष्य तुम्हे भी हरा-भरा और स्वच्छ रखेगा , तुम्हारी शीतलता बनी रहेगी ।

जूलियो के नाथ-------- मटुकनाथ !

मुझे दुःख है कि मै मटुकनाथ नही बन पाया ,और न ही मेरे जीवन में कोई जुली ही आ
पाई । बहुत बड़ी विडम्बना है कि मेरे से ज्यादा उम्र के लोग आज भी अपने से आधी उम्र कि म्रिग्नैनियो से आख -मिचौली खेल रहे है । कभी मोबाइल से बात करते है ,तो कभी परदे के अन्दर बुलाकर । ऐसे में मुझे अपने आप पर तरस आता है कि मै २४ साल का युवा एक कानी कन्या भी नही पटा सका । मोबाइल पर बात करना तो दूर ,किसी लड़की ने मिस काल नही किया होगा । अब आप ही बताये मेरे दिल के अरमानो का क्या होगा ? जो आज भी हिलोरे ले रहा है । मुझे हैरानी तो तब हुई जब मैंने सुना कि किसी मटुकनाथ ने अपनी जुली से मोबाइल पर पूछा कि ,क्या पहनी हो ? मै तो दंग रह गया कि आज मटुकनाथ अपनी जूलियो के पहनावेतक का भी ख्याल रख रहे है। .............. ऐसे में आज जरुरत आ पड़ी है विश्वविद्दालय के हर विभाग में एक मटुकनाथ कि ................ ।

दोस्त चुनो..........

दोस्त चुनो तुम ऐसा , की वो दोस्ती न तोडे ,
जो राह में न छोडे ,
जो साथ रहे हर पल ,
धूप हो ,बारिश हो या छाया रहे बादल ।
दोस्त चुनो तुम ऐसा , जो दुःख को भी समझे ,
सुख में साथ होगा ही ,
कष्ट में भी आ धमके ,
ऐसे दोस्ती करो की टूटे न कभी ,
दिल में बसा लो , साथ छूटे न कभी ।।