पाई । बहुत बड़ी विडम्बना है कि मेरे से ज्यादा उम्र के लोग आज भी अपने से आधी उम्र कि म्रिग्नैनियो से आख -मिचौली खेल रहे है । कभी मोबाइल से बात करते है ,तो कभी परदे के अन्दर बुलाकर । ऐसे में मुझे अपने आप पर तरस आता है कि मै २४ साल का युवा एक कानी कन्या भी नही पटा सका । मोबाइल पर बात करना तो दूर ,किसी लड़की ने मिस काल नही किया होगा । अब आप ही बताये मेरे दिल के अरमानो का क्या होगा ? जो आज भी हिलोरे ले रहा है । मुझे हैरानी तो तब हुई जब मैंने सुना कि किसी मटुकनाथ ने अपनी जुली से मोबाइल पर पूछा कि ,क्या पहनी हो ? मै तो दंग रह गया कि आज मटुकनाथ अपनी जूलियो के पहनावेतक का भी ख्याल रख रहे है। .............. ऐसे में आज जरुरत आ पड़ी है विश्वविद्दालय के हर विभाग में एक मटुकनाथ कि ................ ।
Saturday, May 23, 2009
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kya mara saab ,aapne bilkul sahi likha hai har jagah ab juli aur matuk mil jate hai
ReplyDeleteaaj ke matuk nath ki bat kare to har vibhag me yase logonko dekha ja sakta hai
ReplyDeletedost yaad hai na o din log khte hai buddhe bhi ishak krte hai par koi shak nahi karta
ReplyDeleteaao kosein kabhi kismat ko, kabhi lakeeron ko,
ReplyDeletein haathon kee.......
unkaa kya karein , jo ban rahee hain juliyaan,
in naathon kee.......
ee prem hai babauaaa......
Such matuknaaths are called 'leach'.
ReplyDeleteसमय पे सब मिल जायगा करें नहीं अफसोस।
ReplyDeleteनहीं मिली गर अबतलक ढ़ूँढ़े अपना दोष।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.