Saturday, May 23, 2009

जूलियो के नाथ-------- मटुकनाथ !

मुझे दुःख है कि मै मटुकनाथ नही बन पाया ,और न ही मेरे जीवन में कोई जुली ही आ
पाई । बहुत बड़ी विडम्बना है कि मेरे से ज्यादा उम्र के लोग आज भी अपने से आधी उम्र कि म्रिग्नैनियो से आख -मिचौली खेल रहे है । कभी मोबाइल से बात करते है ,तो कभी परदे के अन्दर बुलाकर । ऐसे में मुझे अपने आप पर तरस आता है कि मै २४ साल का युवा एक कानी कन्या भी नही पटा सका । मोबाइल पर बात करना तो दूर ,किसी लड़की ने मिस काल नही किया होगा । अब आप ही बताये मेरे दिल के अरमानो का क्या होगा ? जो आज भी हिलोरे ले रहा है । मुझे हैरानी तो तब हुई जब मैंने सुना कि किसी मटुकनाथ ने अपनी जुली से मोबाइल पर पूछा कि ,क्या पहनी हो ? मै तो दंग रह गया कि आज मटुकनाथ अपनी जूलियो के पहनावेतक का भी ख्याल रख रहे है। .............. ऐसे में आज जरुरत आ पड़ी है विश्वविद्दालय के हर विभाग में एक मटुकनाथ कि ................ ।

6 comments:

  1. kya mara saab ,aapne bilkul sahi likha hai har jagah ab juli aur matuk mil jate hai

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  2. aaj ke matuk nath ki bat kare to har vibhag me yase logonko dekha ja sakta hai

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  3. dost yaad hai na o din log khte hai buddhe bhi ishak krte hai par koi shak nahi karta

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  4. aao kosein kabhi kismat ko, kabhi lakeeron ko,
    in haathon kee.......
    unkaa kya karein , jo ban rahee hain juliyaan,
    in naathon kee.......

    ee prem hai babauaaa......

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  5. समय पे सब मिल जायगा करें नहीं अफसोस।
    नहीं मिली गर अबतलक ढ़ूँढ़े अपना दोष।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.

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