Friday, April 17, 2009

चप्पल की अभिलाषा

बहन जी ने जब से तिलक तराजू और तलवार , इनको मारो जूते चार ।की बातों को जब से हवा दिया है , तब से जूतेऔर चप्पलों की अभिलाषाएं जाग उठी है ।......... आज हर चप्पल किसी नामी - गिरामी व्यक्ति पर ही समर्पित होना चाहता है । अब समस्या यह है की कौन इनकी इच्छा को पुरी कराएँ , लेकिन कोई किसी का भाग्य नही छीन सकता .... धरती वीरों से खाली नही है जिसने जार्ज बुश ,नविन जिंदल , पी.चिदंबरम और अडवानी जैसे महा मानवों को जन्म दिया । अगर ये सज्जन धरती पर अवतरित न होते तो सायद चप्पलो की इच्छा पूरी न हो पाती। यही वो महा मानव है जिन्होंने भीड़ के बिच में भी चप्पलो को सहर्ष स्वीकार किया है । आज चप्पलो में भी चलने चलने को लेकर काफी प्रतियोगिता बढ़ गयी है । कोई भी चप्पल अपनी बखान सुनाये बिना नहीं रह पता क्योकि अब समय चप्पोलो का आ गया है ..................हर चप्पल पीर से निकल कर सर पे विराज मान होना चाहता है वो भी किसी पापुलर आदमी पर । अगर चप्पलो की इच्छा ऐसे ही सर पर चढ़ कर बोलेगी तो आने वाले समय में हर आदमी को चप्पल खाने के लिए तैयार रहना होगा । आखिर कब तक आदमी चप्पल की अभिलासा पूरी करने के लिए लहू लुहान होता रहेगा .....................?

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